Chardham Yatra Shravan Kumar UP Two Brothers are Taking Their Mother on a Yatra With Her Seated in a Basket: हेलो दोस्तों उत्तराखंड से एक खबर सामने आई है। जहां पर उत्तरप्रदेश के रहने वाले 2 युवक आज के समय के श्रवण कुमार बनकर अपनी माँ को टोकरी में बिठा कर उन्हें चारधाम की यात्रा करवाने के लिए लेकर आए है। और हर कोई उनका अपनी माँ के प्रति प्रेम देखकर उनकी सराहना कर रहा है।
कलयुग के श्रवण कुमार बनकर 2 बेटे करा रहे है अपनी माँ को दर्शन | Chardham Yatra Shravan Kumar UP Two Brothers are Taking Their Mother on a Yatra With Her Seated in a Basket
आज के समय में लोग अपने माँ बाप की इज्जत तक नहीं करते और कुछ तो अपने बूढ़े माँ बाप को घर से बहार भी निकाल देते है। लेकिन आज भी कुछ लोगो के दिलों में अपने माँ बाप के लिए बहुत इज्जत है। जिसका जीता जागता सबूत उत्तरप्रदेश में स्थित बंदायूं के रहने वाले 2 लड़के है। जिनका नाम धीरज और तेजपाल है।
जो अपनी माँ को टोकरे में बिठा कर चारधाम में दर्शन करा रहे है। धीरज और तेजपाल की माँ का नाम राजेश्वरी है और उनकी उम्र 55 साल है। और वह अपनी माँ को टोकरी में बिठाकर यमुनोत्री की यात्रा करवा चुके है और अब वह अपनी माँ को चारधामों में से दूसरे धाम गंगोत्री धाम की यात्रा करवा रहे है।
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बीमारी से पिता की हो गई थी मृत्यु
कलयुग के श्रवण माने जाने वाले धीरज और तेजपाल का कहना है। की माँ-बाप बोझ नहीं होते है. और हमें अपने माँ बाप की सेवा करनी चाहिए। और बाकि के लोग भी उन्हें देखकर प्रेरित हो जिस उद्देश्य से उन्होंने यात्रा शुरू की है। धीरज की आयु 24 है और वहीं उनके छोटे भाई की आयु मात्र 18 वर्ष है। वह दोनों पिछले कई सालो से हिमाचल प्रदेश की तहसील बद्दी के मंधाला गांव में रहते आ रहे हैं। जब वह झोटे थे तो उनके पिता भगवान दास की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी।
तेजपाल ने अपनी माँ को कंधे पर बिठाकर चारधाम की यात्रा करवाने की प्रेरणा का कारण बताते हुए बताया. की वह कई सालो से हरिद्वार में कांवड़ भरने जाते रहे है। जहां पर उन्हें हर साल एक व्यक्ति मिलता था। जो अपनी माँ को कंधे पर उठाकर यात्रा करवाने लेकर जाता था। जिसे देखकर उसे भी अपनी माँ को कंधे पर उठाकर यात्रा करवाने की प्रेरणा मिली। जिसके बाद उन्होंने भी अपनी माँ को यात्रा करवाने का फैंसला किया। और अपने छोटे भाई के साथ मिलकर अपनी माँ को कंधे पर उठाकर यात्रा करवाने निकल पड़ा।
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माँ को कंधे पर उठाकर रोज चलते है 15 Km
इस चारधाम यात्रा को धीरज और तेजपाल ने 18 फरवरी को शुरू किया था। और इस यात्रा का नाम उन्होंने चारधाम श्रवण यात्रा रखा था। जिसमे की वह अपनी माँ को अब तक नीलकंठ, मनसा देवी, वीरभद्र और सुरकंडा माता के मंदिर तक की पैदल यात्रा करवा चुके है।
तेजपाल व धीरज ने बताया की वह दोनों एक दिन में अपनी माँ को कंधे पर उठा कर लगभग 15 किलोमीटर का रास्ता तय कर लेते है। साथ ही उन्हें लोगो के द्वारा रास्ते पर खाना और पानी व्यवस्था करवाई जाती है। और वह अपनी राते बस स्टैंड जैसी जगहों पर बिता लेते है।
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