Uttarakhand Teachers 65 Teachers Services Terminated Now Certificates Of 24 Parsent Other Teachers Will Be Examined: प्रदेश में कई ऐसे शिक्षक है जो नकली प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में भर्ती हुए है और बच्चो को पढ़ा रहे है। काफी पहले इन शिक्षकों के खिलाफ फर्जी डिग्री असली नौकरी अभियान चलाया गया था। जिसके बाद सरकार की तरफ से एसआईटी को जांच करने के लिए कहा गया था।
जिसके बाद जाँच हुई और अब तक 65 शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया है। साथ ही 7 और ऐसे शिक्षक मिले है जिनके प्रमाण पत्र नकली थे। और बता दे ऐसे शिक्षकों को भर्ती करने वाले अधिकारियो के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। और वह सही सलामत आराम से घूम रहे है।
62 शिक्षकों की सेवा कर दी गई समाप्त | Uttarakhand Teachers 65 Teachers Services Terminated Now Certificates Of 24 Parsent Other Teachers Will Be Examined
बताया जा रहा है की जाँच के बाद प्रारंभिक और जूनियर हाईस्कूलों में पढ़ा रहे फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों में से 62 शिक्षकों को पद से निरस्त कर दिया गया है। लेकिन कुछ 13 शिक्षक ऐसे भी है जो इस नौकरी से निकाले जाने पर हाईकोर्ट चले गए हैं। और 7 ऐसे शिक्षक है जिन्हे नौकरी से हटाने के लिए कार्रवाई की जा रही है। और उन्हें भी जल्द ही नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
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इन फर्जी शिक्षकों को ढूढ़ने के लिए हरिद्वार जिले के एक प्रधानाचार्य, 10 लिपिक और 122 शिक्षकों के खिलाफ शिकायत होने पर जांच करी जा रही है। कहा जा रहा है की इनमे से प्रारंभिक शिक्षा के शिक्षकों में अब तक 76 प्रतिशत शिक्षकों के कागजों की जाँच की जा चुकी है। लेकिन अभी भी 24 प्रतिशत शिक्षकों के कागजो की जाँच रह रही है।
भर्ती में गड़बड़ी करने वालो के खिलाफ नहीं लिया गया एक्शन
जैसा की आप सभी को पता होगा की प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े के कई केस सामने आ चुके है। साथ ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पर भी एलटी भर्ती में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत सामने आ चुकी है। इसी के साथ पहले भर्ती में गड़बड़ी को लेकर एससीईआरटी पर भी उंगलिया उठी है। लेकिन अभी तक किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया।
उत्तराखंड में शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी के कई केस सामने आ चुके थे। जिसके बाद अरविंद पांडे जो की शिक्षा मंत्री है उनके द्वारा पहली कक्षा से 12वीं तक को पढ़ाने वाले प्रत्येक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जाँच करने के लिए कहा गया था। परन्तु शिक्षा मंत्री के कहने के बाद भी माध्यमिक के सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र नहीं जांचे गए।
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