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देहरादून में शहीद की माँ ने सुनाई दुख भरी दास्तान, करीबी उठाते है घर का खर्चा, मायके में रह रही बहु को मिलती है पेंशन

Martyr Commander Nishant Mother Wounds Were Freshened After Hearing The Pain Of Anshuman Singh Parents: इन दिनों एक मामला चर्चा में है। जिसमे सेना में भर्ती अंशुमान के शहीद होने के बाद सारे लाभ और मेडल उसकी पत्नी को दिया गया। और जिन माँ बाप ने अपने बच्चे को सालो पाला पोसा उन माँ बाप को कुछ लाभ नहीं मिला और बेटे के शहीद होने के बाद बहु सारा लाभ लेकर अपने मायके चली गई। और ऐसा ही एक मामला देहरादून से सामने आया है। जहां पर एक माँ का बेटा नौ सेना में शहीद हो गया और उसकी पत्नी सारा लाभ लेकर अपने मायके चली गई।

बहु को मिलती है1 लाख 80 हजार रुपये पेंशन | Martyr Commander Nishant Mother Wounds Were Freshened After Hearing The Pain Of Anshuman Singh Parents

जानकारी अनुसार यह पूरा मामला देहरादून का है। जहा सहस्त्रधारा रोड पर गंगाकुंज अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर बी-302 में एक बेबस माँ अकेली रहती है जिसका एक बेटा भी था और वह नौसेना में कमांडर था। जिसका नाम निशांत सिंह था जो की शहीद हो चुका है। निशांत सिंह नवंबर 2020 में मिग-29 एयर क्राफ्ट उड़ा रहा था। की अरब सागर में प्लेन क्रैश हो गया और 35 वर्षीय निशांत सिंह शहीद हो गया। जिसे शहीद होने के बाद कीर्ति चक्र से सम्मानित भी किया गया था।

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निशांत सिंह के माता-पिता का डिवोर्स पहले ही हो गया था और बेटे ने पिता से गुजारा भत्ता लेने के लिए भी मना कर दिया था। निशांत की शादी को चार महीने ही हुए थे की वह शहीद हो गया। जिसके बाद निशांत की पत्नी अपने घर चली गई व पेंशन भी उसे ही मिलती है। जो की 1 लाख 80 हजार है। साथ ही स्वास्थ लाभ भी पत्नी को मिलता है। बेटे के शहीद होने व बहु के आपने घर चले जाने के बाद 68 वर्षीय निशांत सिंह की माँ घर में अकेले ही रहती है।

माँ को मिलनी चाहिये बेटे की 50% पेंशन

बेटे के चले जाने और पेंशन बहु को मिलने के कारण निशांत सिंह की माँ बुरे हालातों में जी रही है। माँ प्रोमिला देवी के पास कमाई का कोई ओर जरिया भी नहीं है। उनके इस बुरे वख्त में उनके करीबी लोग ही उनका ध्यान रखते है। पति से गुजारा भत्ता भी न लेने के कारण प्रोमिला देवी की जिंदगी बदहाली में कट रही है जो की एक शहीद सैनिक की माँ के लिए बहुत दुःख की बात है।

जानकारी अनुसार प्रोमिला देवी ने बताया की खाने से लेकर बाकि सभी जरूरतों में उनके करीबी ही उनकी मदद करते है। यहाँ तक की स्वास्थ्य समस्याएं होने पर भी वही उनका साथ देते है। साथ ही उन्होंने बताया की सैन्य अस्पतालों का लाभ उन्हें नहीं दिया जाता। उनका यह भी कहना है की बेटे के शहीद होने पर मिलने वाली पेंशन में 50 प्रतिशत हिस्सा माँ का होना चाहिए।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिलाया था मदद का भरोसा

निशांत सिंह के पिता यशवीर सिंह भी नौसेना के कमांडर थे और उन्ही को देखते हुए उनके बेटे निशांत ने गोवा और विशाखापत्तनम में नेवी चिल्ड्रन स्कूल में पढ़ाई की। जिसके बाद उन्होंने नौसेना में अपने करियर की शुरुआत जुलाई 2008 में की और भारतीय नौसेना में कमीशंड के पद पर सम्लित हुए। जिस समय वह सेना में भर्ती हुए उस समय उनकी आयु 22 वर्ष थी। और 35 की उम्र में वह शहीद हो गए।

निशांत की माँ प्रोमिला सिंह कहती है की मैने अपने बेटे को 35 साल पाला और उसे सेना में भेजा परन्तु उसकी पेंशन में मुझे एक भी रुपया नहीं मिला। प्रोमिला सिंह ने बताया की उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी इस बारे में बात की थी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने भरोसा दिलाया था की वह उनकी मदद करेंगे। लेकिन अभी तक कोई मदद उन्हें नहीं मिली है।


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Mohit Kumar
Mohit Kumar
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