महात्मा गाँधी
परिचय
मोहनदास करमचन्द गाँधी जी एक बहुत बड़े नेता थे जिन्हे हम महत्मा गाँधी के नाम से जानते है
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था जिसे हम गाँधी जयंती के रूप में मानते है गाँधी जी सदैव अहिंसा के सिद्धांत पर चलते थे उन्होंने स्वतंत्रता सग्राम को पूरे भारत देश में फैलाया जिससे भारत के नागरिको को अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलन करने की प्रेरणा मिली । मोहनदास करमचन्द गाँधी जी को महत्मा की उपाधि 1915 मिली थी माना जाता है की गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मोहनदास करमचन्द गाँधी जी को महत्मा की उपथि दी थी जिसके कारण हम उन्हें महत्मा गाँधी के नाम से जानते है गाँधी जी को बापू कहकर भी पुकारा जाता है
एक मान्यता के अनुसार साबरमती आश्रम के शिष्यों ने उन्हें पहली बार बापू कहकर सम्बोधित किया था गाँधी जी ने सबसे पहला सत्याग्रह दक्षिण अफ्रीका में भारतीय लोगो के अधिकारों के लिए किया था फिर 1915 में भारत लोट कर किसानो और अभी नागरिको को एक साथ भेदभाव और जमीन के अधिक कर के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एक किया ।
1921 में वह भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस दाल के नेता बने इसके बाद गाँधी जी ने देश में दरिद्रता से मिक्ति , धर्म जाती की एकता और महिलाओं के अधिकार आदि के लिए कार्यक्रम चलाए। इसके बाद 1930 में नमक सत्यग्रह चलाया और 1942 में अंग्रेजो भारत छोडो जैसे बड़े आंदोलन चलाए जिसके बाद वह देश भर में अधिक लोकप्रिय हो गए। गाँधी जी जीवन भर सत्य और अहिंसा की रहा पर चले और अपना जीवन साधरण तरह से गुजारा ।
प्रारंभिक जीवन
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था इनका का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के एक नगर पोरबंदर में हुआ था इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी था गाँधी जी के पिता अंग्रेजो के समय के एक काठियावाड़ नामक रियासत के प्रधान मंत्री थे और इनकी माता का नाम पुतलीबाई था गुजरात में गाँधी का मतलब पंसारी होता है गाँधी जी की माता भक्ति में बहुत विश्वास रखती थी और उनके इलाके में जैन परम्पराओ का प्रभाव था जिसका गाँधी जी पर बहुत असर हुआ ।महत्मा गाँधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरी बाई मकनजी था इनका विवहा सन्न 1883 में हुआ था जब उनकी आयु मात्र 13 वर्ष ही थी 1885 में कस्तूरी बाई ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया परन्तु वह ज्यादा दिन जीवित ना रह सका और इसी साल गाँधी के पिता की भी मृत्यु हो गई इसके बाद गाँधी जी के चार पुत्र हुए जिसमे पहले पुत्र का नाम हरिलाल गांधी दूसरे का मणीलाल गाँधी तीसरे का रामदास गाँधी और चौथे पुत्र का नाम देवदास गाँधी था। गाँधी जी पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे गाँधी जी 4 सितम्बर1888 में अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए यनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में चले गए।
दक्षिण अफ्रीका में भेदभाव
गाँधी जी अपनी बेरिस्टर की पढ़ाई के बाद प्रेक्टिस के लिए 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गए जो उस समय अंग्रेजो के अधीन था दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय होने के कारण बहुत कुछ झेलना पड़ा शुरआत में उन्हें पहली क्लास का ट्रेन टिकट होते हुए भी उन्हें भारतीय होने कारण चढ़ने नहीं दिया जाता था मजबूरन उन्हें थर्ड क्लास के डिब्बे में जाना पड़ता था इसके अलावा गाँधी जी को अफ्रीका में कई होटलो में जान वर्जित था भारतीय भेदभाव के कारण उन्हें और कई कठनाइयों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव और अत्याचारों के प्रति आवाज उठाई और सत्याग्रह भी किया।
गाँधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलन
खेड़ा और चंपारण
गाँधी जी ने अपना पहला सत्यग्रह 1918 बिहार के चंपारण जिले में किया जंहा उन्होंने जरुरी खाद्य फसलों की जगह
जबरदस्ती नील की खेती करवाने पर आंदोलन किये ,चंपारण में जमीदारो के द्वारा भारतीय लोगो को दमन होता था
जिसके कारण गांव में गरीबी बढ़ती जा रही थी और यही समस्या गुजरात में भी थी। महात्मा गाँधी जी ने ये सब देखते हुए
एक आश्रम खोला जंहा पर उन्होंने गांव की समस्या के निवारण के लिए बहुत से कदम उठाए जिसमे
उन्होंने गांव के लोगो को विश्वास जगाया और गांव में साफ सफाई करवाई और हॉस्पिटल ,स्कूल आदि भी खुलवाए।
परन्तु पुलिस ने अशांति फ़ैलाने के जुर्म में गाँधी जी को गिरिफ्तार कर लिया लेकिन हजारो की भीड़ ने पुलिस के खिलाफ
रैली निकली जिस कारण गाँधी जी को छोड़ दिया गया और इसके बाद गाँधी जी ने गांव वालो को उनके अधिकार भी
वापस दिलाए।
असहयोग आन्दोलन
गाँधी जी ने इस आंदोलन को जलियावाला नरंसहार के बाद इस आंदोलन को अहिंसा और शांतिपूर्ण तरीके से अंग्रेजो के खिलाफ चलाया जिसमे उन्होंने विदेशी वस्तुओ के इस्तमाल को बंद करने और बहिष्कार करने को कहा साथ ही अपने हाथो से बनाई खादी को पहन ने के लिए कहा और सरकारी नौकरी ,सरकारी संस्था तथा शिक्षा संस्थाओ को भी छोड़ने के लिए कहा। और लोग इस आंदोलन में जुड़ने लगे परन्तु 1922 में आंदोलन से हिंसा होने के डर से यह आंदोलन बंद कर दिया गया और गाँधी जी को राजद्रोह के जुर्म में 6 साल के लिए जेल में डाल दिया गया लेकिन 2 वर्ष बाद ऑपरेशन के लिए गाँधी जी को रिहा कर दिया गया ।
स्वराज और नमक सत्याग्रह
26 जनवरी 1930 में भारत के लाहौर में झंडा फहराया गया जो भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया इस प्रत्येक संगठन में झंडा फहराया गया इसके बाद मार्च 1930 में ही गाँधी जी ने नमक पर टेक्स लगाने के कारण आंदोलन चलाया जिसमे 400 किलोमीटर की पैदल यात्रा की ताकि देश में खुद ही नमक बनाया जा सके। यह आंदोलन बहुत सफल रहा और हजारो लोगो ने इस आंदोलन में भाग भी लिया जिसके बाद अंग्रेजो ने 80000 लोगो को जेल में डाल दिया। 1931 में एक संधि के बाद 80000 लोगो को रिहा कर दिया गया ।
दलित आंदोलन
इस आंदोलन की शुरुआत 8 मई 1933 में हुई जब 1932 में दलितों के नेता और डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर ने चुनाव के प्रचार में सरकार द्वारा दलितो के लिए नए सविधान में अलग इलेक्शन की मंजूरी दे दी। इसके विरोध में गाँधी जी ने 1932 में 6 दिन के लिए अनशन पर बैठ गए इसके बाद सरकार ने दलित नेताओ से अलग इलेक्शन की जगह सामान्य इलेक्शन के लिए आग्रह किया। गाँधी जी ने दलितों के लिए कई अभियानों की शुरुआत की उन्होंने दलितों को हरिजन का नाम दिया और 1933 में गाँधी जी ने दलित आंदोलन में मदद करने के लिए आत्म शुद्धिकरण के लिए 21 दिन का उपवास किया यह अभियान दलितों को अच्छा नहीं लगा और डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने भी इसकी निंदा करी वैसे तो गाँधी जी एक वैश्य जाति के थे परन्तु फिर भी वह दलितों के लिए आवाज उठाते थे।
द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन
द्वितीय विश्व युद्ध 1939 में गाँधी जी ने अंग्रेजो के प्रयासों को अहिंसात्मक नैतिक सहयोग देने के लिए तैयार हो गए परन्तु दूसरे कांग्रेस नेता ने युद्ध में जनता के प्रतिनिधियों से परामर्श लिए बिना इसमें शामिल किए जाने का विरोध किया इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने एक साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया लंबी चर्चा के बाद, गांधी ने घोषणा की कि जब स्वयं भारत को आजादी से इंकार किया गया हो तब लोकतांत्रिक आजादी के लिए बाहर से लड़ने पर भारत किसी भी युद्ध के लिए पार्टी नहीं बनेगी।
जैसे युद्ध आगे बढता गया गांधी जी ने अंग्रेजो भारत छोडो आंदोलन कर दिया यह अंग्रेजो के खिलाफ स्पष्ट विद्रोह था जिससे बहुत हिंसा हुई जिसमे पुलिस ने हजारो लोगो को गोली मर दी और हजारो लोगो को गिरफ्तार कर लिया गया परन्तु गाँधी जी और उनके समर्थको ने कहा की आंदोलन बंद नहीं होगा जब तक उन्हें आजादी नहीं मिल जाती।
इसके बाद 9 अगस्त 1942 में गाँधी जी और उनके सभी समर्थको को गिरफ्तार कर लिया गया इसके बाद गाँधी जी को पुणे में 2 साल तक बंधी बनाकर रखा इसी बीच गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी का 22 फरवरी 1944 को देहांत हो गया और गांधी जी को मलेरिया हो गया जिसके कारण गाँधी जी को आजाद कर दिया और कुछ समय बाद कांग्रेसी नेताओं के साथ साथ लगभग 100000 राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया।
गाँधी जी की मृत्य
30 जनवरी, 1948 , में नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी जब वे नई दिल्ली के बिड़ला भवन के मैदान में चहलकदमी कर रहे थे। गांधी जी का हत्यारा नाथूराम गौड़से हिन्दू राष्ट्रवादी था जिनके कट्टरपंथी हिंदु संगठन के साथ संबंध थे। नाथूराम गोडसे गांधी जी के पाकिस्तान को पैसे देने के फैसले खुश नहीं था इसलिए उसने रैली में गाँधी जी को गोली मर दी इसके बाद गोड़से और उसके साथ नारायण आप्टे को बाद में केस चलाकर सजा दी गई और 15 नवम्बर 1949 को फांसी दे दी गई।
प्रश्न: महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है।
प्रश्न: महात्मा गांधी जी की जन्म कब हुआ था?
उत्तर: महात्मा गांधी जी की जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
प्रश्न: महात्मा गांधी जी की जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: महात्मा गांधी जी की जन्म गुजरात के एक तटीय नगर पोरबंदर में हुआ था।
प्रश्न: महात्मा गांधी जी की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर: महात्मा गांधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 में हुई थी।