Gopal Krishna Goswami Maharaj From Iskcon Passed Away Today: हेलो दोस्तों देहरादून से एक दुखद घटना सामने आई है। जिसने सभी को चौका दिया है। बता दे आज सुबह इस्कॉन के सबसे वरिष्ठ और जाने माने संन्यासियों में से एक गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का देहरादून में निधन हो गया। और उन्हने सुबह लगभग साढ़े नाै बजे अपने प्राण त्याग दिए। गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज के मरने की खबर से उनके सभी भक्तो और चाहने वालो के बीच दुःख का माहौल बना हुआ है।
गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने ली अंतिम सांस | Gopal Krishna Goswami Maharaj From Iskcon Passed Away Today
बताया जा रहा है की गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज 2 मई को एक मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में गए थे जो की दूधली में स्थित है। जहां पर अचानक से वह फिसल गए और नीचे गिर गए. जिससे उनके फेफड़ों में पंक्चर हो गया। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर तीन दिनों तक उनका इलाज चला।
लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। और सुबह 9:30 बजे उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। और साथ ही कल उनके मृत शरीर को वृंदावन ले जाया जाएगा। लेकिन कल किस समय उनके शरीर को वृंदावन ले जाया जाएगा। इसका समय अभी पता नहीं चल सका है। लेकिन कल दोपहर 2:30 बजे उनको इस्कॉन की गोशाला के पास समाधि दी जाएगी।
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सुबह 11 बजे होंगे अंतिम दर्शन
बताया जा रहा है की वरिष्ठ संन्यासि और इस्कॉन इंडिया की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज लोगो के बीच काफी प्रचलित थे। जिस कारण भारत सहित दुनिया भर में उनके लाखो भक्त है. जो की उनके निधन की खबर सुनके बहुत दुखी है। और इनमे से कुछ भक्त उनके अंतिम दर्शन भी करेंगे जो की कल 6 मई को वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में सुबह 11 बजे कर सकेंगे।
लोगो के कल्याण के लिए बिताया जीवन
गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का जन्म साल 1944 को भारत की राजधानी दिल्ली में हुआ था। और वह शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे जिस वजह से उन्हें मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) और सोरबोन विश्वविद्यालय (फ्रांस) से पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्ति भी दी गई थी। जिसके बाद साल 1968 में गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज ने अपने गुरु आचार्य श्रील प्रभुपाद से मुलाकात की।
जिसके बाद उन्होंने फैसला किया की वह अब से अपना पूरा जीवन लोगो के कल्याण और शांति के लिए भगवान कृष्ण और सनातन धर्म की शिक्षाओं को दुनिया के साथ साझा करने में बिताएंगे। और इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान कृष्ण और सनातन धर्म की शिक्षा को लोगो को देने में बिता दिया।
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