Four People Recruited in Drinking Water Corporation by Showing Fake Documents Have Been Dismissed From Their Jobs: सरकारी नौकरी में पुछले कई सालो से धांधले बाजी चल रही है। और लोग गलत तरह से सरकारी नौकरी पा रहे है। और ऐसी ही एक खबर निकलकर आई है जिसमे पेयजल निगम में कुछ व्यक्तियों ने नकली कागज दिखाकर आरक्षण का लाभ उठाया था। जिन्हे सेवा से निरस्त कर दिया गया है। जिनमे से 3 लोग 2005 में और एक व्यक्ति 2007 में भर्ती हुआ था।
पेयजल निगम के 4 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को नौकरी से निकाला | Four People Recruited in Drinking Water Corporation by Showing Fake Documents Have Been Dismissed From Their Jobs
आज के समय में हर कोई सरकारी नौकरी करना चाहता है जिसके लिए लोग कड़ी मेहनत कर रहे है। लेकिन कई लोग फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी पा लेते है। पेयजल निगम में भी ऐसा ही देखा गया है। जहां पर चार एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। जिसमे से 3 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर मुनीष, आनंद और सुमित पेयजल निगम में 2005 में भर्ती हुए थे।
जो की दूसरे प्रदेश के रहने वाले थे जिन्होंने नकली कागज बनाकर अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ उठाया और पेयजल निगम में सरकारी नौकरी हांसिल कर ली। इसी के साथ साल 2007 में सरिता गुप्ता नाम की एक महिला भी पेयजल निगम में भर्ती हुई थी। जो की बाहरी राज्य की निवासी थी. फिर भी वह उत्तराखंड में महिला वर्ग के आरक्षण का लाभ उठाकर भर्ती हो गई थी।
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इन चारो लोगो की जांच के बाद उन पर कार्रवाई करने के लिए सलाह लेने के लिए पेयजल निगम प्रबंधन के द्वारा फाइल कार्मिक विभाग को भेजी गई। जिसके बाद उनके निर्देश पर चारों आरोपियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था। परन्तु आरोपियों की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया। फिर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
फर्जी कागज देखकर भर्ती करने वाले 5 साल पहले हो चुके है रिटायर
इस तरह की फर्जी भर्ती को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है की इन गलत तरह से हुई भर्ती का जिम्मेदार कौन होगा। साथ ही यह भी सवाल उठ रहे है की कभी भर्ती करने वालो पर कोई कार्रवाही होगी या नहीं। जानकारी अनुसार कहा जा रहा है की जिन अधिकारियो के द्वारा इन 4 लोगों की भर्ती पेयजल निगम में की गई थी। उन्हें 5 साल से अधिक समय हो गया है रिटायर हुए।
सालों पहले रिटायर होने के कारण उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाही करना बहुत मुश्किल काम है। उत्तराखंड की सरकार को इन फर्जी भरतीयों को रोकने के लिए और भर्ती घोटालों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय टीम बनानी चाहिए। जो इस तरह फर्जी भरतीयों के खिलाफ सख्त कार्रवाही कर सके और इन नौकरी के घोटालो को रोक सके।
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