Ganesh Chaturthi Kab Hai Date and Time 2024: गणेश चतुर्थी भारत में धूम धाम से मनाए जाने वाले त्यौहारो में से एक है। जो पुरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन इस पर्व को कर्नाटका और महाराष्ट्र में अधिक धूम धाम से मनाया जाता है। माना जाता है। की इस दिन शंकर भगवान और पार्वती माता के पुत्र गणेश भगवान का जन्म हुआ था। इस लिए इस दिन को गणेश भगवान के जन्मोत्सव के रूप में मनाते है।
- गणेश चतुर्थी क्या है?
- गणेश चतुर्थी का पर्व क्यों मनाया जाता है।
- Ganesh Chaturthi Kab Hai Date and Time 2024
- मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त
- गणेश चतुर्थी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।
- गणेश मूर्ति स्थापना
- पूजन विधि
- गणेश भगवान की आरती
- गणेश भगवान की कथा
- भारत के विभिन्न हिस्सों में गणेश चतुर्थी
- भारत में मनाए जाने वाले अन्य त्यौहार(Other Festivals Celebrated in India)
इस दिन कई लोग अपने घरो में भगवान गणेश जी की मूर्ति को लाते है। और अपने घर में स्थापित करते है। और पूजा करते है। इस त्यौहार को 9 दिनों तक मनाया जाता है। और 9 दिनों बाद गणेश भगवान की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर देते है। गणेश भगवान को गणेश, के साथ-साथ एकदन्त, गणपति, लंबोदर आदि जैसे कई ओर नामो से भी पुरे भारत में जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी क्या है?
गणेश चतुर्थी , जिसे लोग आमतौर पर विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। यह त्योहार भगवान गणेश की पूजा और विघ्नहर्ता के रूप में मनाया जाता है। वे विद्या, बुद्धि, और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। इसलिए इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करके लोग बुद्धि, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार अगस्त और सितंबर महीने में मनाया जाता है। और इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है।
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गणेश चतुर्थी का पर्व क्यों मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का पर्व क्यों मनाया जाता है। इसकी कई मान्यता है। बताया जाता है की गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान का जन्म हुआ था। इस लिए गणेश चतुर्थी के पर्व को पुरे भारत में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने की एक और मान्यता है। बताया जाता है। की इस दिन वेदव्यास जी ने महाभारत को लिखने के लिए गणेश भगवान को कहा था। और इसी दिन से गणेश भगवान ने महाभारत को लिखना शुरू करा था। जिसे गणेश भगवान ने लगातार पूरे 10 दिनों तक लिखा था। और इस लिए गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिन तक मनाया जाता है।
Ganesh Chaturthi Kab Hai Date and Time 2024
गणेश चतुर्थी का त्यौहार हिन्दू कलेण्डर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी को मनाया जाता है। जो अंग्रेजी कलेण्डर के अनुसार अगस्त या सितम्बर में आता है। और साल 2024 में इस त्यौहार को शनिवार 07 सितंबर को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी की तिथि सितम्बर 06 को दोपहर 03:01 pm पर प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 07 सितंबर को शाम 05:37 पर समाप्त होगी।
गणेश चतुर्थी तिथि | शनिवार 07 सितंबर 2024 |
गणेश चतुर्थी तिथि प्रारंभ | 06 सितम्बर, 2024 को 03:01 pm |
गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त | 07 सितम्बर, 2024 को 05:37 pm |
मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त
जैसा की गणेश चतुर्थी की दिन कई लोग गणेश भगवान की मूर्ति को अपने घर लाते है। और मूर्ति को घर पर स्थापित करते और पूजा करते है। तो इस साल 2024 में मूर्ति स्थापित करने वह पूजा करने का शुभ मुहूर्त 07 सितम्बर शनिवार को सुबह 11 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। आप इस बीच मूर्ति को स्थापित कर सकते है।
मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त | 07 सितम्बर शनिवार को 11:03 AM से 01:34 |
कुल अवधि | 02 घण्टे 31 मिनट |
गणेश चतुर्थी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।
इस दिन को पुरे भारत में सभी लोग धूम धाम से मनाते है। इस दिन लोग अपने घर में भगवान गणेश की छोटी मिट्टी की मूर्ति को घर लाते हैं। और मंदिरो में बड़ी मूर्तियों को लाया जाता है। गणेश भगवान को इस दिन अतिथि के रूप में आमंत्रित करके उनका अभिषेक किया जाता है। मूर्ति का यह अभिषेक एक शुभ मुहूर्त पर पवित्र मंत्रो और विधिविधान से पूजा के बाद किया जाता है। और 9 दिन तक उनकी पूजा करी जाती है।
फिर गणपति विसर्जन के दिन विधिविधान से मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। कई स्थानों पर लोग गणेश चतुर्थी के अवसर पर सार्वजनिक पारंपरिक आयोजन करते हैं, जिसमें प्रदर्शन, संगीत, नृत्य, प्रवचन, और खासकर पारंपरिक परंपराओं के अनुसार पूजा और उत्सव होते हैं।
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गणेश मूर्ति स्थापना
गणेश मूर्ति स्थापना सामग्री
- गणेश भगवान की मूर्ति
- गंगा जल
- लाल कपडा
- अक्षत
- फूलो की माला
- श्रृंगार का सामान
- एक लोटा पानी
- एक नारियल
मूर्ति स्थापना
मूर्ति स्थापना करने के लिए सबसे पहले सुबह घर में साफ सफाई कर ले। फिर स्नान करके अच्छे कपडे पहन ले। उसके बाद मूर्ति के स्थापना स्थान पर गंगा जल छिड़के और फिर चौकी पर लाल कपडा बिछाकर उसपर अक्षत रखे। इसके बाद गणेश भगवान की मूर्ति को उसपर स्थापित करे। जिसमे की मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की और होना चाहिए। फिर मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराए। और इसके बाद रिद्धि सिद्धि के रूप में मूर्ति के दोनों तरफ सुपारी(पान के पत्ते में लपेटकर) रखें। इसके बाद दाई और एक जल से भरा कलश और उसपर एक नारियल भी रखे। फिर गणेश भगवान का मुकुट वस्त्र और फूल माला आदि से श्रृंगार करे।
पूजन विधि
गणेश पूजन सामग्री
- पूजन के लिए फूल
- दीपक (घी के साथ)
- धूप और धूपदनी
- दूर्वा (दर्भ) की माला
- सिन्दूर
- केसर
- फल (जैसे केला, सेब)
- पांच मेवा
- मोदक या लड्डू
गणेश भगवान की पूजा के लिए सबसे पहले मूर्ति पर सिन्दूर और केसर से तिलक लगाएं। फिर गणेश भगवान जी को दिवे और धूप बत्ती को जलाकर पूजें। और फूलों को चढ़ाएं और दूर्वा की माला से मंत्र जपें। फिर गणेश भगवान की मूर्ति को मोदक का भोग लगाए। इसके बाद आरती गाएं। इसके बाद गणेश भगवान के सामने हाथ जोड़े और अपनी मनोकामनाएं मांगें। और पूजन के बाद, प्रसाद को परिवार सहित सभी को खिलाएं।
गणेश भगवान की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा;
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव;
एक दन्त दयावन्त, चार भुज धारी;
माथे सिन्दूरा सोहे, मूसे की सवारी;
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा;
अंधन को आँख देता, कोर्धिना को काया;
बांझन को पुत्र देता, निर्धन को माया;
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा;
पाना चढ़े, फूला चढ़े, और चढ़े मेवा;
लड्डुअन का भोग लगे, संता करें सेवा;
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
गणेश भगवान की कथा
गणेश भगवान के जन्म की कथा बहुत अनोखी है। बताया जाता है। एक दिन माता पारवती ने स्नान के लिए गई थी। जहां पर उन्होंने अपने शरीर पर लगे चन्दन को उतारकर उससे एक मूर्ति मनाई। जिसके बाद पारवती माता ने उस मूर्ति में जान डाल दी। जिसके बाद माता पारवती ने उन्हें स्नान घर के बाहर खड़ा कर दिया। और किसी को अंदर न आने देने को कहा। जिसके बाद शंकर भगवान आए और अंदर जाने लगे।
जिसके बाद बालक ने शंकर भगवान को अंदर जाने से रोका लेकिन शंकर भगवान के समझाने के बाद भी बालक ने शंकर भगवान को अंदर नहीं जाने दिया। जिसके बाद शंकर भगवान और बालक के बीच जमकर युद्ध हुआ। जिसके बाद शंकर भगवान ने अपने त्रिशूल से उस बालक का सर काट दिया। जिसके बाद पारवती माता बहुत क्रोधित हुई और प्रलय करने की ठान ली जिसके बाद सभी देवता ने जगदम्बा माँ की स्तुति करके उन्हें शांत किया।
फिर शंकर भगवान ने अपने सेवको को उत्तर दिशा में मुख करे हुए किसी बालक का सर काटकर लाने का आदेश दिया।लेकिन उन्हें ऐसा कोई बालक नहीं मिला। जिसके बाद सेवको को एक उत्तर दिशा में मुख करे हुए एक हाथी का बच्चा मिला। फिर सेवक उसका सर काटकर ले आए। जिसके बाद शंकर भगवान ने हाथी के बच्चे का सर बालक के धड़ पर लगा दिया। और बालक को दुबारा जीवित कर दिया। यह दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को था। इस लिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
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भारत के विभिन्न हिस्सों में गणेश चतुर्थी
महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी
भारत में अगर कहीं गणेश चतुर्थी का त्यौहार सबसे अधिक धूम धाम से मनाया जाता है। तो वह महाराष्ट्र में है। यहाँ पर गणेश चतुर्थी का त्यौहार सबसे अधिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ पर गणेश चतुर्थी के दिन घरो और सार्वजनिक मंदिरो, पंडालों में बड़ी और एक से बढ़कर एक गणेश भगवान की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। और साथ ही रोजाना 10 दिन तक आरती और सांस्कृतिक प्रोग्राम किये जाते है। और गणेश चतुर्थी के दस वें दिन या अंतिम दिन जलूस और कुछ सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ मूर्तियों को समुद्र में ले जाकर विसर्जित कर दिया जाता हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गणेश चतुर्थी
भारत में कई राज्यों में गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। जिसमे की कई जगहों पर अलग अलग पारंपरिक तरीको से इस पर्व को मनाया जाता है। जहाँ पर कई स्थानों पर यह त्यौहार 10 दिन तक मनाया जाता है। तो वहीं पर भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह त्यौहार 11 दिन तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन यहां भी गणेश भगवान की मूर्तियों को लोग अपने घर लाते है। और सच्चे दिल से भगवान गणेश की पूजा करते है।
केरला में गणेश चतुर्थी
केरला में गणेश चतुर्थी का पर्व पारंपरिक और रंगारंग कार्यकर्मो के साथ मनाया जाता है। यहाँ पर इस दिन कथकली जैसे शास्त्रीय नृत्य को कार्यकर्मो में शामिल किया जाता है। और साथ ही गणेश भगवान की कहानियों को दिखाने वाले नृत्य और नाटक इस पर्व को एक अलग ही प्रकार का सौन्दर्य देते है।
भारत में मनाए जाने वाले अन्य त्यौहार(Other Festivals Celebrated in India)
त्यौहारो के नाम | दिन | तिथि |
मकर संक्रांति | रविवार | 14 जनवरी |
वसंत पंचमी | बुधवार | 14 फरवरी |
होली | रविवार | 24 मार्च |
रमज़ान ईद/ईद-उल-फितर | गुरुवार | 11 अप्रैल |
बैसाखी | शनिवार | 13 अप्रैल |
मुहर्रम/आशूरा | बुधवार | 17 जुलाई |
रक्षा बंधन (राखी) | सोमवार | 19 अगस्त |
विनायक चतुर्थी | शनिवार | 07 सितम्बर |
ओणम | रविवार | 15 सितम्बर |
जन्माष्टमी | सोमवार | 26 अगस्त |
दुर्गा अष्टमी | शुक्रवार | 11 अक्टूबर |
दशहरा | शनिवार | 12 अक्टूबर |
दिवाली/दीपावली | शुक्रवार | 01 नवंबर |
भाई दूज | शनिवार | 02 नवंबर |
क्रिसमस | बुधवार | 25 दिसंबर |