Cyber Thugs Posing as Mumbai Crime Branch Defrauded IIRS Scientist of Rs 56 Lakh: देहरादून से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। जहां एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिक के साथ एक बहुत बड़ी ऑनलाइन ठगी हुई है। इस ठगी के दौरान ठगों ने पीड़ित को 144 घंटे तक ऑनलाइन अरेस्ट किया और उससे 56 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पार्सल में नशीले पदार्थ होने का डर दिखाकर फंसाया जाल में | Cyber Thugs Posing as Mumbai Crime Branch Defrauded IIRS Scientist of Rs 56 Lakh
इस ठगी के पीड़ित का नाम सुरेंद्र कुमार शर्मा है जो की हाथीबड़कला के रहें वाले है। जो की आईआईआरएस में बतौर वैज्ञानिक के पद पर काम करते हैं और वह मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। सुरेंद्र कुमार शर्मा ने सोमवार को पुलिस को तहरीर देते हुए बताया की 5 जून की सुबह साढ़े आठ बजे एक अनजान नंबर से उनके पास फोन आया था। और फोन करने वाले ने अपने आप को कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया।
फोन करने वाले ने यह कहा की सुरेंद्र के नाम से एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है। जिसे मुंबई के हवाई अड्डे पर कस्टम ने पकड़ लिया है। जिसमे नशीले पदार्थ है। जिसकी वजह से पार्सल को रोका गया है। जिसके बाद सुरेंद्र कुमार शर्मा ने उन्हें कहा की यह पार्सल उनका नहीं है। लेकिन वो लोग नहीं माने और उन्हें एक फोन नंबर दिया. और कहा की आप इस नंबर पर फोन करके इस चीज की जानकारी मुंबई क्राइम ब्रांच को दे दे।
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ठगो ने वीडियो कॉल के माध्यम से दिलाया विश्वास
पीड़ित सुरेंद्र कुमार शर्मा ने जब कोरियर कंपनी के कर्मचारी द्वारा दिए गए मुंबई क्राइम ब्रांच के नंबर पर फोन किया. तो विक्रम सिंह नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें क्राइम ब्रांच कार्यालय में आने की बात कही। लेकिन पीड़ित सुरेंद्र ने वहां आने को मना कर दिया। जिसके बाद विक्रम सिंह ने सुरेंद्र को वीडियो कॉल पर लिया। जिसमे सुरेंद्र कुमार ने देखा की विक्रम सिंह के आस पास का माहौल मुंबई क्राइम ब्रांच शाखा की तरह है।
वहां पर सभी लोग वर्दी पहने नज़र आ रहे थे। जिसके बाद विक्रम ने सुरेंद्र से आधार कार्ड की फोटो मांगी। और कहा की उनका आधार कार्ड अपराधी नवाब मलिक के नेटवर्क से जुड़ा है जिसे ED ने गिरफ्तार किया हुआ है। इसे सुनने के बाद पीड़ित ने किसी भी प्रकार से इन अपराधियों से जुड़े होने से मना किया। जिसके बाद ऑनलाइन वेरिफिकेशन के नाम पर ठगों ने उससे उसकी सम्पत्ति व बैंक खातों के बारे में जानकारी ली।
जाँच के बहाने ठगो ने डीसीपी बताकर सुरेंद्र कुमार से 56 लाख रुपये अपने अकाउंट में गिरवा लिये। इस पूरी ठगी के दौरान आरोपियों ने पीड़ित को गिरफ्तारी का पत्र भेजकर 144 घंटे तक ऑनलाइन गिरफ्तार करके रखा। और उन्हें सिर्फ अपने कार्यालय जाने की अनुमति दी।
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पूरी रात वीडियो कॉलिंग के माध्यम से रखी नजर
आरोपि ठगों ने वैज्ञानिक सुरेंद्र को डराते हुए कहा की आरबीआई के द्वारा सुरेंद्र के खातों का सत्यापन होना है। ठग जो की खुद को विक्रम सिंह कह रहा था. उसने सुरेंद्र पर 5 जून को पूरी रात वीडियो कॉलिंग के माध्यम से नजर रखी। इस ठगी के दौरान पैसे भरने के लिए वैज्ञानिक सुरेंद्र ने अपने शेयर भी बेच दिए साथ ही ऑनलाइन लोन भी लिया।
उत्तराखंड में इस प्रकार की ठगी पहले भी हो चुकी है जिसमे शिकार ऋषिकेश एम्स के डॉक्टर को बनाया गया था। और सुरेंद्र के साथ हुई ठगी दूसरा मामला है। ऋषिकेश एम्स के डॉक्टर के साथ हुई ठगी में आरोपियों ने डॉक्टर को इसी प्रकार फंसाकर 10 लाख रुपए ले लिए थे। सुरेंद्र कुमार शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और उन ठगों की जाँच शुरू कर दी है।
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